क्रिकेट जगत में भारत की धाक और मजबूत होती दिख रही है, बीसीसीआई सचिव जय शाह का ICC (अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद) के अध्यक्ष पद के लिए निर्विरोध चुना जाना इसका बड़ा उदाहरण है। इस घटना से यह साफ हो गया है कि भारत का क्रिकेट में वर्चस्व दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। जय शाह, जो कि बीसीसीआई के सचिव के रूप में पहले ही एक प्रभावशाली व्यक्तित्व बन चुके हैं, अब ICC के अध्यक्ष के रूप में एक नए और महत्वपूर्ण भूमिका में दिखेंगे।
ICC में भारत की पकड़ मजबूत
ICC का इतिहास देखा जाए तो यह हमेशा से दुनिया भर के क्रिकेट खेलों के संचालन के लिए जाना जाता रहा है। हालांकि, हाल के वर्षों में भारत का प्रभाव लगातार बढ़ा है। भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) सबसे शक्तिशाली और धनी क्रिकेट बोर्डों में से एक है। यह बात कोई नई नहीं है कि भारत का क्रिकेट में वर्चस्व बढ़ता जा रहा है, लेकिन जय शाह का निर्विरोध चुनाव इसे और भी स्पष्ट रूप से दर्शाता है।
जय शाह का निर्विरोध चुनाव: संकेत क्या हैं?
जय शाह का ICC अध्यक्ष पद पर निर्विरोध चुना जाना यह संकेत देता है कि दुनिया भर में क्रिकेट के प्रमुख निर्णय लेने की प्रक्रिया में भारत की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो चुकी है। जहां पहले आईसीसी के चुनावों में कई देशों के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा होती थी, अब भारत की कूटनीति और प्रभाव ने एक अलग ही स्तर पर इसे पहुंचा दिया है। जय शाह का निर्विरोध चुनाव इस बात का प्रतीक है कि अब भारत को दुनिया भर में एक चुनौती के रूप में नहीं देखा जा रहा, बल्कि एक नेता के रूप में देखा जा रहा है।
भारत की बढ़ती ताकत
ICC में भारत का वर्चस्व जय शाह के चुनाव से ही सीमित नहीं है। भारतीय क्रिकेट टीम की लगातार सफलता, इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) की सफलता और बीसीसीआई का आर्थिक कद, सभी ने मिलकर भारत को क्रिकेट जगत का एक बड़ा खिलाड़ी बना दिया है। भारत ने खेल के हर पहलू पर अपनी पकड़ बनाई है, चाहे वो खिलाड़ियों का विकास हो, वित्तीय मजबूती हो या फिर दर्शकों की अपार लोकप्रियता।
जय शाह का नेतृत्व: संभावनाएं और चुनौतियां
जय शाह के ICC अध्यक्ष बनने से कई नई संभावनाएं उत्पन्न हो सकती हैं। उन्होंने बीसीसीआई के सचिव के रूप में जिस तरह से काम किया, उससे उम्मीद है कि वे आईसीसी में भी नए और सकारात्मक बदलाव लाएंगे। सबसे बड़ी बात यह है कि जय शाह के नेतृत्व में क्रिकेट की अंतरराष्ट्रीय नीतियों में भारतीय दृष्टिकोण का ज्यादा प्रभाव देखने को मिल सकता है।
हालांकि, जय शाह के सामने चुनौतियां भी होंगी। उन्हें अन्य देशों के क्रिकेट बोर्डों के साथ तालमेल बिठाना होगा, खासकर उन देशों के साथ जो कभी भारतीय वर्चस्व से असहज महसूस कर सकते हैं। फिर भी, यह संभावना है कि जय शाह अपनी कूटनीतिक शैली और प्रबंधन कौशल से इन चुनौतियों का सामना कर लेंगे।
ICC में भविष्य का परिदृश्य
जय शाह के निर्विरोध चुने जाने के बाद यह अनुमान लगाया जा सकता है कि ICC में भारतीय क्रिकेट का प्रभाव और भी बढ़ेगा। भारतीय दर्शकों की संख्या, वित्तीय योगदान और खिलाड़ियों का कौशल आईसीसी के फैसलों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। इससे क्रिकेट का विकास और विस्तार वैश्विक स्तर पर भी तेज होगा, और नए बाजारों में इस खेल की पहुंच और भी बढ़ सकती है।
निष्कर्ष
जय शाह का आईसीसी अध्यक्ष पद पर निर्विरोध चुनाव न केवल भारत के लिए गर्व की बात है, बल्कि यह पूरे विश्व के लिए एक संकेत है कि क्रिकेट के वैश्विक नेतृत्व में भारत की भूमिका कितनी महत्वपूर्ण हो गई है। आईसीसी में भारत का वर्चस्व यह बताता है कि आने वाले वर्षों में क्रिकेट की दिशा और दशा में भारत का प्रभाव और भी स्पष्ट रूप से देखा जाएगा।
ICC में यह नया युग न केवल क्रिकेट प्रेमियों के लिए उत्साहजनक है, बल्कि इसे एक नए और मजबूत वैश्विक परिदृश्य की भी शुरुआत माना जा सकता है|
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