Assembly Elections Jammu Kashmir चुनाव की तारीखें अभी तय नहीं हुई हैं, लेकिन चुनावी सरगर्मियां तेजी से बढ़ रही हैं। सियासी दल अपने पत्ते खेल रहे हैं, और इस बीच घाटी में भूकंप और राजनीतिक उथल-पुथल ने माहौल और गर्मा दिया है। पीडीपी (पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी) में हो रहे इस्तीफों से राजनीतिक संकट और गहरा गया है। यह घटनाएं Assembly Elections Jammu Kashmir से पहले की सियासी फिजा को नया रंग दे रही हैं।
Assembly Elections Jammu Kashmir की तैयारी और राजनीतिक उठापटक
Assembly Elections Jammu Kashmir का इंतजार लंबे समय से हो रहा है। अनुच्छेद 370 हटने के बाद पहली बार Assembly Elections Jammu Kashmir होने जा रहे हैं। ऐसे में सभी राजनीतिक दलों की नजरें इस चुनाव पर टिकी हुई हैं। नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी), पीडीपी, बीजेपी और कांग्रेस सहित अन्य क्षेत्रीय दल अपनी रणनीतियों को तैयार करने में जुटे हुए हैं।
लेकिन पीडीपी में मची इस्तीफों की लहर ने इस पार्टी की स्थिति को कमजोर कर दिया है। पार्टी के बड़े नेता इस्तीफा देकर अन्य दलों में शामिल हो रहे हैं या अपनी स्वतंत्र राजनीतिक राहें चुन रहे हैं। माना जा रहा है कि पीडीपी के भीतर चल रही कलह और नेतृत्व संकट ने इन इस्तीफों को और तेज कर दिया है। पार्टी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती को इससे काफी नुकसान झेलना पड़ सकता है।

पीडीपी में इस्तीफों की लहर
पीडीपी में इस्तीफों की शुरुआत तब हुई जब पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं ने इस्तीफा दे दिया। घाटी में पार्टी की पकड़ कमजोर पड़ती दिख रही है। हाल ही में कुछ प्रमुख नेताओं ने इस्तीफा देकर नेशनल कॉन्फ्रेंस का रुख किया है। महबूबा मुफ्ती की पार्टी में मची इस हलचल ने चुनाव से पहले पार्टी को कमजोर कर दिया है।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि पार्टी में अंदरूनी कलह और सत्ता की होड़ इस इस्तीफों की वजह है। इससे पार्टी के समर्थकों और कार्यकर्ताओं में भी निराशा फैल रही है। इस्तीफों की इस लहर ने पीडीपी की राजनीतिक स्थिति को बेहद कमजोर कर दिया है, और Assembly Elections Jammu Kashmir से पहले यह उनके लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है।
घाटी में भूकंप और सियासी संकट
इन सियासी हलचलों के बीच घाटी में भूकंप ने लोगों के बीच दहशत फैला दी है। हाल ही में घाटी में लगातार भूकंप के झटके महसूस किए गए, जिससे स्थानीय लोगों में भय का माहौल है। भूकंप के कारण कई क्षेत्रों में हल्की क्षति भी हुई है, लेकिन सौभाग्य से कोई बड़ी जान-माल की हानि नहीं हुई।
भूकंप के बाद कई इलाकों में लोगों ने घरों से बाहर निकलकर सुरक्षित स्थानों की ओर रुख किया। वहीं, राजनीतिक दलों ने भी इस आपदा का सामना कर रहे लोगों के लिए अपनी मदद का हाथ बढ़ाया। सरकार ने राहत कार्यों की शुरुआत कर दी है और स्थिति पर नज़र बनाए हुए है।
Assembly Elections Jammu Kashmir माहौल में बदलाव
Assembly Elections Jammu Kashmir से पहले का माहौल लगातार बदलता जा रहा है। राजनीतिक दल अपने उम्मीदवारों और रणनीतियों को अंतिम रूप दे रहे हैं। लेकिन पीडीपी में मची इस्तीफों की लहर और घाटी में भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं ने चुनावी माहौल को और जटिल बना दिया है।
नेशनल कॉन्फ्रेंस और बीजेपी ने Assembly Elections Jammu Kashmir के लिए अपनी कमर कस ली है और वो पीडीपी के इस कमजोर होते किले का फायदा उठाने की फिराक में हैं। घाटी के लोग भी अब देख रहे हैं कि कौन सा दल उनके मुद्दों को सुलझाने के लिए आगे आता है।
क्या आगे होगा (Assembly Elections Jammu Kashmir) ?
Assembly Elections Jammu Kashmir का यह समय काफी महत्वपूर्ण है। एक ओर पीडीपी जैसी प्रमुख पार्टी में नेतृत्व संकट है, वहीं दूसरी ओर विपक्षी दल इस मौके का फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं। भूकंप जैसी आपदाएं भी राजनीतिक समीकरणों को प्रभावित कर सकती हैं।
घाटी की राजनीति में यह समय उथल-पुथल का है, और आने वाले हफ्तों में और भी सियासी उठा-पटक देखने को मिल सकती है। चुनावी बिसात पर कौन बाजी मारेगा, यह देखना दिलचस्प होगा।
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