Badlapur Case: स्कूल प्रबंधन पर हुई FIR, दोनों पीड़ितों और उनके माता-पिता के बयान दर्ज
Badlapur Case: Maharashtra के badlapur में नाबालिगों के यौन शोषण के मामले में स्कूल प्रशासन के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। विशेष जांच दल (SIT) ने कहा कि पॉक्सो अधिनियम के नियमों का उल्लंघन करने के लिए यह कार्रवाई की गई है। स्कूल प्रशासन को यौन शोषण की जानकारी मिलने के बाद पुलिस को सूचित करना अनिवार्य था, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया।
पीड़ितों और उनके अभिभावकों के बयान भी दर्ज किए गए हैं। मामले में आगे की जांच जारी है। स्कूल प्रशासन की लापरवाही और यौन शोषण के मामले में उनकी चुप्पी ने इस मामले को और भी गंभीर बना दिया है। पुलिस और SIT मामले की गहराई से जांच कर रही हैं और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने की तैयारी में हैं।
Bombay High court का स्कूल यौन दुर्व्यवहार मामले में सख्त रुख
Bombay High court ने Badlapur Case मामले में स्वतः संज्ञान लिया है, जिसमें चार साल की मासूम बच्चियों के साथ यौन दुर्व्यवहार किया गया था। अदालत ने स्कूल प्रशासन की लापरवाही और मामले की जानकारी छिपाने के आरोप में पॉक्सो के तहत मामला दर्ज करने का निर्देश दिया है। अदालत ने कहा कि अगर स्कूल ही सुरक्षित नहीं हैं तो शिक्षा के अधिकार और बाकी चीजों का क्या अर्थ है?
अदालत ने सरकार से केस डायरी और प्राथमिकी की कॉपी मांगी है और मामले की अगली सुनवाई 27 अगस्त को होगी। यह मामला स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा की चिंता को बढ़ाता है और स्कूल प्रशासन की जिम्मेदारी को रेखांकित करता है। अदालत का यह कदम बच्चों के अधिकारों की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।
Badlapur Case: स्कूल में बच्चियों के साथ बदसलूकी: सफाईकर्मी पर आरोप
एक चौंकाने वाली घटना में, 14 अगस्त को एक बच्ची ने स्कूल से घर आकर अपने माता-पिता को बताया कि उसके गुप्तांग में दर्द हो रहा है। जब बच्ची ने बार-बार शिकायत की, तो माता-पिता को शक हुआ और उन्होंने बच्ची से पूछताछ की। तब पता चला कि 23 वर्षीय सफाईकर्मी अक्षय शिंदे ने टॉयलेट में बच्ची के प्राइवेट पार्ट को छुआ था।
माता-पिता ने अन्य बच्ची के माता-पिता से संपर्क किया, जिन्होंने बताया कि उनकी बेटी भी स्कूल जाने से डर रही है। दोनों बच्चियों की स्थिति संदिग्ध होने पर माता-पिता ने डॉक्टर से जांच कराई, जिसमें पता चला कि आरोपी ने बच्चियों के साथ बदसलूकी की थी। यह घटना स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा की चिंता को बढ़ाती है और स्कूल प्रशासन की जिम्मेदारी को रेखांकित करती है।
Badlapur case मे पुलिस की लापरवाही: बच्चियों के साथ बदसलूकी मामले में देरी से कार्रवाई
पीड़ित बच्चियों के अभिभावकों ने 16-17 अगस्त की रात्रि में स्थानीय पुलिस थाने में शिकायत दर्ज करने का प्रयास किया, लेकिन थाना प्रभारी शुभदा शितोले ने उनकी शिकायत को नजरअंदाज कर दिया और उन्हें कुछ घंटों तक प्रतीक्षा करने के लिए मजबूर किया।
बाद में, जिला महिला एवं बाल कल्याण अधिकारी के दखल के बाद पुलिस ने 17 अगस्त की सुबह पॉक्सो अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया और सरकारी अस्पताल में लड़कियों की चिकित्सा जांच कराई। इसके तुरंत बाद, आरोपी को हिरासत में ले लिया गया। यह घटना पुलिस की लापरवाही और बच्चों के प्रति संवेदनहीनता को दर्शाती है। जिला महिला एवं बाल कल्याण अधिकारी के हस्तक्षेप से ही पुलिस ने कार्रवाई की और आरोपी को गिरफ्तार किया।
निष्कर्ष
Badlapur Case: Bombay High court ने मामले में स्वतः संज्ञान लेते हुए कहा कि चार साल की निर्दोष बच्चियों की सुरक्षा भी खतरे में है, उन्हें भी Attack का शिकार होना पड़ रहा है। यह कितने दुर्भाग्यपूर्ण हालात हैं! अगर स्कूल ही सुरक्षित नहीं हैं तो शिक्षा के अधिकार का क्या अर्थ है? जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और जस्टिस पृथ्वीराज चव्हाण की खंडपीठ ने मामले में सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की।Badlapur Case
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