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भारत बंद: दलित, आदिवासी संगठनों का प्रदर्शन, SC-ST और OBC आरक्षण पर नया कानून पारित करने की मांग 1 बार फिर

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आज, 21 अगस्त 2024, भारत भर में एक व्यापक भारत बंद का आयोजन किया गया। दलित और आदिवासी संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट के एक हालिया विवादित फैसले के खिलाफ सड़कों पर उतरने का आहवान किया। ये संगठन SC-ST और OBC के लिए आरक्षण पर नए और सख्त कानून की मांग कर रहे हैं। इस बंद ने कई राज्यों को पूरी तरह ठप कर दिया, जिससे आम जनजीवन पर गहरा प्रभाव पड़ा।

सुप्रीम कोर्ट का विवादित फैसला

हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट ने SC-ST और OBC आरक्षण को लेकर एक बड़ा फैसला सुनाया, जिसमें आरक्षण की “क्रीमी लेयर” को लागू करने की बात कही गई। कोर्ट के इस फैसले ने दलित और आदिवासी समुदायों को गहरी चोट पहुंचाई है। उनका मानना है कि यह फैसला उनके संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन करता है और उनके सामाजिक और आर्थिक अधिकारों को कमजोर करने का प्रयास है। यह नया आदेश SC-ST और OBC के लिए उनके मौजूदा आरक्षण को खत्म करने जैसा है, जिससे ये समुदाय असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।

भारत बंद: दलित, आदिवासी संगठनों का प्रदर्शन, SC-ST और OBC आरक्षण पर नया कानून पारित करने की मांग
भारत बंद: दलित, आदिवासी संगठनों का प्रदर्शन, SC-ST और OBC आरक्षण पर नया कानून पारित करने की मांग

बंद का उद्देश्य

दलित और आदिवासी संगठनों द्वारा बुलाए गए इस भारत बंद का मुख्य उद्देश्य यह था कि सरकार जल्द से जल्द एक नया कानून पारित करे, जो SC-ST और OBC समुदायों के लिए आरक्षण की सुरक्षा सुनिश्चित करे। यह प्रदर्शन इसलिए भी हो रहा है ताकि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर पुनर्विचार किया जाए या इसे वापस लिया जाए। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि इस फैसले से उनका हक छीना जा रहा है और उन्हें एक बार फिर सामाजिक अन्याय का सामना करना पड़ेगा।

भारत बंद का व्यापक असर

भारत बंद का असर देश के कई प्रमुख राज्यों में देखने को मिला। बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड, ओडिशा, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में बंद समर्थकों ने सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन किए। पटना, लखनऊ, रांची, भुवनेश्वर, और मुंबई जैसे बड़े शहरों में जनजीवन पूरी तरह ठप हो गया। प्रदर्शनकारियों ने सड़कों और रेलवे ट्रैक को जाम कर दिया, जिससे यातायात और रेल सेवाएं बाधित हुईं।

बिहार में सबसे ज्यादा असर देखा गया, जहां पटना और आसपास के इलाकों में प्रदर्शनकारियों ने कई प्रमुख मार्गों को बंद कर दिया। झारखंड में भी कई जगहों पर चक्का जाम किया गया, जिससे यात्री और आम जनता को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा। कई जगहों पर पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच टकराव की खबरें भी आईं, जिसमें पुलिस ने लाठीचार्ज किया और प्रदर्शनकारियों ने जवाब में पत्थरबाजी की।

विपक्षी दलों का समर्थन

इस भारत बंद को राजनीतिक दलों का भी जबरदस्त समर्थन मिला। कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी), झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम), और बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) जैसे प्रमुख विपक्षी दलों ने इस बंद का समर्थन किया। यहां तक कि कई अन्य दल भी इस बंद के प्रति नरम रुख अपनाते दिखे। विपक्षी दलों का कहना है कि यह बंद देश के कमजोर और पिछड़े वर्गों की आवाज़ है और सरकार को जल्द से जल्द उनके हक में कोई ठोस कदम उठाना चाहिए।

सोशल मीडिया पर उबाल

सोशल मीडिया पर भी इस भारत बंद का जमकर समर्थन हुआ। #भारत_बंद पूरे दिन ट्रेंड करता रहा। लोग अपनी राय खुलकर रख रहे हैं और सरकार के खिलाफ आक्रोश व्यक्त कर रहे हैं। इस बंद के दौरान कई बड़े नेताओं और एक्टिविस्ट्स ने सोशल मीडिया पर वीडियो संदेश और ट्वीट्स के जरिए आंदोलन को और मजबूत किया।

क्या कहती है सरकार?

इस बीच, सरकार ने अभी तक इस बंद पर कोई ठोस बयान जारी नहीं किया है। लेकिन राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि सरकार इस मुद्दे को लेकर चिंतित है और जल्द ही इस पर कुछ बड़ा कदम उठा सकती है। हालांकि, सरकार के पास समय बहुत कम है, क्योंकि अगर इस मुद्दे का जल्द हल नहीं निकाला गया, तो यह आंदोलन और बड़ा रूप ले सकता है और देशभर में उथल-पुथल मचा सकता है।

निष्कर्ष

भारत बंद के दौरान दलित और आदिवासी संगठनों का उग्र प्रदर्शन यह संकेत देता है कि देश में सामाजिक न्याय का मुद्दा कितना संवेदनशील और ज्वलंत है। SC-ST और OBC आरक्षण की लड़ाई केवल कानूनी मसला नहीं है, बल्कि यह देश के सामाजिक ताने-बाने को भी प्रभावित करता है। अगर सरकार ने जल्द ही इस पर ध्यान नहीं दिया, तो आने वाले दिनों में यह आंदोलन और व्यापक और उग्र हो सकता है।

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